भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों की वैश्विक श्रेणी में 7वें स्थान से छलांग लगा कर तीसरे स्थान पर पहुंचा

WhatsApp Image 2022 12 19 at 10.58.25 AM

भारत के विद्वानों का कार्य 2010 के 60,555 शोध प्रपत्रों से बढ़कर 2020 में 1,49,213 शोध प्रपत्र हो गया

हलधर किसान। भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों की वैश्विक श्रेणी में 7वें स्थान छलांग लगा कर से तीसरे स्थान पर पहुँच गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर के साथ समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी है।
भारत की वैज्ञानिक बिरादरी के लगातार प्रयासों की सराहना करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदान किए गए एक सक्षम वातावरण और काम करने की स्वतंत्रता को सारा श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि, हमारे वैज्ञानिक प्रयासों में इस तरह की लंबी छलांग केवल पिछले कुछ वर्षों में हो रही है और यह तथ्य पीएम मोदी द्वारा नीतियों की सुगमता के साथ-साथ उनकी व्यक्तिगत अनुग्रह और प्राथमिकता दोनों ही मामलों में दिए गए बल का प्रमाण है।

संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के नेशनल साइंस फाउंडेशन ( एनएसएफ ) के विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 में 7वें स्थान से सुधर कर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत के विद्वानों का कार्य 2010 में 60,555 शोध प्रपत्रों (पेपर्स) से बढ़कर 2020 में 1,49,213 शोध प्रपत्र (पेपर) हो गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के अनुसंधान प्रदर्शन में बहुत सुधार हुआ है और जो अनुसंधान प्रकाशनों, प्रौद्योगिकियों के विकास एवं समग्र विकास में योगदान देने वाले नवाचारों के संदर्भ में बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक ज्ञान के माध्यम से दिखाई देता है। इस बात पर भी गर्व किया कि भारत अब विज्ञान और इंजीनियरिंग में शोध (पीएचडी)की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है। उन्हें इस तथ्य से भी अवगत कराया गया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) में भारतीय वैज्ञानिकों को दिए गए पेटेंट की संख्या भी 2018-19 के 2511 से बढ़कर 2019-20 में 4003 और 2020-21 में 5629 हो गई है।

नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार की एक स्वतंत्र एजेंसी है जो विज्ञान और इंजीनियरिंग के सभी गैर-चिकित्सा क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान और शिक्षा का समर्थन करती है।

अब यह याद किया जा सकता है कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ( डब्ल्यूआईपीओ ) द्वारा लाए गए वैश्विक नवाचार सूचकांक ( ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स – जीआईआई ) 2022 के अनुसार, भारत की जीआईआई श्रेणी में भी 2014 के 81वें स्थान से 2022 में 40वें स्थान पर पहुँचने का महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को आगामी केंद्रीय बजट 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक धन मिलने की संभावना है।

पिछले बजट में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) को 6,002 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आवंटित कुल 14,217 करोड़ रुपये के कोष का 42 प्रतिशत था। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसन्धान विभाग ( डीएसआईआर ) को 5,636 करोड़ रुपये (40 प्रतिशथत) मिले, जबकि जैव-प्रौद्योगिकी विभाग ( डीबीटी ) को 2,581 करोड़ रुपये ( 18 प्रतिशत ) मिले।

सरकार ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व ( सीएसआर ) के प्रावधान के अंतर्गत कॉर्पोरेट क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने की अनुमति दी है। कॉर्पोरेट्स अपने सीएसआर के एक भाग के रूप में प्रौद्योगिकी व्यवसाय ऊष्मायकों ( इन्क्यूबेटर्स ) में निवेश कर सकते हैं या अन्य संस्थानों और राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा किए गए अनुसंधान प्रयासों में अपना योगदान दे सकते हैं। इसके लिए विशिष्ट निवेश प्रोत्साहन की पेशकश की जाती है जैसे स्थान- आधारित कर प्रोत्साहन जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उद्योग स्थापित करने तथा व्यवसाय करने से उत्पन्न लाभ की 100 प्रतिशत कटौती को सक्षम बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *