हलधर किसान नई दिल्ली। खरीफ और रबी सीजन में यूरिया के लिए परेशान होने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर है।
भारत 2025 के अंत तक यूरिया का आयात बंद कर देगा। यह जानकारी खुद रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने दी है। उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माण पर बड़े पैमाने पर जोर देने से आपूर्ति और मांग के बीच अंतर को पाटने में मदद मिली है।
मांडविया ने कहा कि भारतीय कृषि के लिए उर्वरकों की उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश पिछले 60.65 साल से फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहा है। अब सरकार नैनो लिक्विड यूरिया और नैनो लिक्विड डाइ.अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है।
मंत्री ने कहा वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग फसल और मिट्टी की गुणवत्ता के लिए अच्छा है। हम इसे बढ़ावा दे रहे हैं। यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के बारे में पूछे जाने पर मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने यूरिया आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनाई है।
मंत्री ने बताया सरकार ने चार बंद यूरिया संयंत्रों को फिर शुरू किया है और एक अन्य कारखाने को वापस चालू करने का काम जारी है। उन्होंने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को सालाना करीब 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है। मांडविया ने कहा कि स्थापित घरेलू उत्पादन क्षमता 2014.15 में 225 लाख टन से बढ़कर करीब 310 लाख टन हो गई है।
घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाना सरकार का लक्ष्य
मंत्री ने कहा कि वर्तमान में वार्षिक घरेलू उत्पादन और मांग के बीच का अंतर करीब 40 लाख टन है। उन्होंने कहा कि पांचवें संयंत्र के चालू होने के बाद यूरिया की वार्षिक घरेलू उत्पादन क्षमता करीब 325 लाख टन तक पहुंच जाएगी।
20.25 लाख टन पारंपरिक यूरिया के इस्तेमाल को नैनो तरल यूरिया से बदलने का लक्ष्य भी है। मांडिवया ने कहा कि हमारा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है। 2025 के अंत तक यूरिया के लिए देश की आयात पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। यूरिया का आयात बिल शून्य हो जाएगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2022.23 में यूरिया का आयात इससे पिछले साल के 91.36 लाख टन से घटकर 75.8 लाख टन रह गया।
2020.21 में यूरिया आयात 98.28 लाख टन, 2019.20 में 91.23 लाख टन और 2018.19 में 74.81 लाख टन था। मांडाविया ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में कृषि क्षेत्र के लिए उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रमुख फसल पोषक तत्वों पर सब्सिडी बढ़ाकर भारतीय किसानों को वैश्विक बाजारों में उर्वरकों की कीमतों में तेज वृद्धि से भी बचाया है। को.ऑपरेटिव ऑर्गनाइजेशन ने कुछ साल पहल नैनो लिक्विड यूरिया लॉन्च की थी। इसने कुछ अन्य कंपनियों को नैनो यूरिया प्लांट लगाने के लिए टेक्नोलॉजी भी उपलब्ध कराई है।
अगर अगस्त 2021 से फरवरी 2024 के बीच की बात करेंए तो 7 करोड़ नैनो यूरिया बॉटल्स (हरेक में 500 एमएल) बेची गई हैं। नैनो यूरिया की एक बॉटल ही पारंपरिक यूरिया के 45 किलो वाले बैग के बराबर होती है।