भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने खारिज किया एग्रो स्टॉर कंपनी का केस

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने खारिज किया एग्रो स्टॉर कंपनी का केस

ऑल इंडिया एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन पर लगाया था दुष्प्रचार करने का आरोप

हलधर किसान। ई-कॉमर्स से जुड़ी एग्रो स्टार कंपनी को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से बड़ा झटका लगा है। आयोग ने कंपनी द्वारा ऑल इंडिया एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन के खिलाफ दुष्प्रचार करने का दावा करते हुए मुआवजे का केस दायर किया था, जिसे आयोग ने खारिज कर दिया है। आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि एग्रो स्टार कंपनी स्वयं ही खाद. बीज एवं कीटनाशक का अवैध व्यापार कर रही है,

क्योंकि उनके द्वारा किसी प्रकार का प्रिंसिंपल सर्टिफिकेट या प्रोफार्म संबंधित विक्रेता को जारी नही किया जाता है, इसलिए इन पर कार्रवाई की जाए, वहीं ऑल इंडिया एग्रो डीलर के संबंध में कहा है कि यह एक व्यापारिक संगठन न होकर सरकार से कानूनों में बदलाव और व्यापारियों के हित में काम करने वाली संस्था है, जबकि इनके सदस्य खुद ही व्यापार में प्रतिस्पर्धा करते है, इसलिए यह केस खारिज किया जाता है। 

यह था मामला  

संगठन की और से पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के नामी अभिभाषक विजय सरदाना ने बताया कि एग्रो स्टार कंपनी ने आयोग में याचिका दायर की थी कि एग्रो इनपुट वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष मनमोहन कलंत्री, अरविंदभाई जेरामभाई पटेल आदि द्वारा ऑनलाईन व्यापार के खिलाफ अभियान चलाया है, जिससे व्यवसाय गंभीर रूप से प्रभावित हुआ। कई छोटे व्यापारी और बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के निर्माता संगठन के निर्णय का पालन करके कंपनी से नाता तोड़ रहे थे और गुजरात राज्य में  वृद्धि प्रतिशत 76 प्रतिशत से गिर गई है। ऐसासिएशन के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही उन्हें मुआवजा दिलाया जाए। 

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने खारिज किया एग्रो स्टॉर कंपनी का केस (1)

कंपनी ने आयोग से अंतरिम राहत के लिए प्रार्थना की थी कि संगठन और उसके सदस्यों के खिलाफ कथित प्रतिस्पर्धा.विरोधी गतिविधियों में शामिल होने से रोकने का निर्देश दें। मामले में 07 फरवरी 2024 को मामले को अंतरिम राहत आवेदन और उक्त आवेदन की शीघ्र सुनवाई की मांग करने वाले आवेदनों पर विचार करने के लिए सूचीबद्ध किया गया था। आयोग ने उपरोक्त आवेदनों पर विचार किया और सूचनादाता और विपक्षी पक्षों को सुनवाई के लिए 20 मार्च 2024 को बुलाने का निर्णय लिया।

सारे तथ्यों को सुनने के बाद आयोग ने जारी आदेश में कहा है कि विपक्षी दलों  (एग्रो इनपुट वेलफेयर एसोसिएशन) ने सूचना के जवाब में उनके द्वारा की गई दलीलों को दोहराया। मुखबिर (कंपनी) के विपरीत, विरोधी पक्ष वाणिज्यिक उद्यम नहीं हैं, बल्कि गैर.लाभकारी संगठनों के रूप में काम करते हैं। इसके अलावा, विपक्षी दलों के पदाधिकारी एसोसिएशन के संबंधित उपनियमों में प्रदान की गई गतिविधियों में शामिल हैं जो मुख्य रूप से राष्ट्रीय नीतियों और बदलते कानूनों के बारे में शिक्षा और जागरूकता से संबंधित है। एसोसिएशन के सदस्य एक.दूसरे से स्वतंत्र रूप से काम करते हैं और अक्सर अपनी भौगोलिक स्थिति के आधार पर एक ही बाजार में एक.दूसरे के प्रतिस्पर्धी होते हैं।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने खारिज किया एग्रो स्टॉर कंपनी का केस (1)

यह प्रस्तुत किया गया है कि मुखबिर एक अनधिकृत और अवैध व्यापार संचालन कर रहा था यानी ई.कॉमर्स के माध्यम से कृषि.इनपुट बेच रहा था। इसलिएए किसी अवैध कार्य पर प्रतिस्पर्धा कानून के प्रावधानों को लागू करने का कोई औचित्य नहीं है। आगे यह प्रस्तुत किया गया है कि कीटनाशक और बीज विनियमित क्षेत्र हैं और प्रत्येक राज्य के लिए आवश्यक कीटनाशक अन्य राज्यों से भिन्न और विशिष्ट हो सकते हैं। चूंकि सूचनादाता अखिल भारतीय आधार पर सेवा दे रहा हैए इसलिए सूचनादाता प्रत्येक किसान की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है। यहां तक कि एक वितरक को भी प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है और किसी भी निर्माण कंपनी ने मुखबिर को वितरक के रूप में नियुक्त नहीं किया है। 

ई.कॉमर्स में शामिल पार्टियों द्वारा कीटनाशकों के दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है। इंटरनेट पर खरीदा गया और दिशानिर्देशों का पालन किए बिना भेज दिया गया। डीलर, खुदरा विक्रेता, कृषि.इनपुट के निर्माता और ब्रांड मालिक व्यवसाय मॉडल में शामिल होने से बच रहे हैं। कंपनी की किसी बाहरी पार्टी या एसोसिएशन के दबाव के कारण नहीं बल्कि उपरोक्त खतरों के कारण कंपनी के व्यवसाय मॉडल में शामिल होने से बच रहे हैं। आयोग ने सुविधा संकलन और मुखबिर द्वारा दायर लिखित प्रस्तुतियां सहित रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री का अवलोकन किया है। 

आयोग का माननाहै कि सेल मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अधिनियम की धारा 33 की व्याख्या करते हुए पाया है कि जहां जांच के दौरान आयोग संतुष्ट है कि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कार्य किया गया है। और ऐसा कृत्य किया जाना जारी है या ऐसा कृत्य किया जाने वाला हैए, तो वह ऐसी जांच पूरी होने तक या ऐसी पार्टी को नोटिस दिए बिना अगले आदेश तक ऐसे कृत्य को करने से पार्टी को अस्थायी रूप से रोकने का आदेश जारी कर सकता है,

जहां यह इसे आवश्यक समझता है। जैसा कि माननीय न्यायालय ने कहा, आयोग को इस शक्ति का प्रयोग संयमित ढंग से और बाध्यकारी एवं असाधारण परिस्थितियों में करना होगा। इसके अलावा, आयोग ने एक तर्कसंगत आदेश दर्ज करते हुए कहा अपनी संतुष्टि दर्ज करनी चाहिए जो कि अधिनियम की धारा 26 (1) के तहत स्पष्ट शब्दों में प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण के गठन से कहीं अधिक उच्च स्तर की होनी चाहिए कि कथित प्रावधानों के उल्लंघन में एक कार्य किया गया है और जारी है प्रतिबद्ध है या प्रतिबद्ध होने वाला है।

उपरोक्त के मद्देनजर, सेल मामले में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित डायटा के आलोक में अंतरिम राहत देने के लिए मुखबिर द्वारा कोई मामला नहीं बनाया गया है और इस प्रकार, आवेदन अंतरिम राहत की मांग करने वाले मुखबिर की याचिका खारिज कर दी गई है।

  यह स्पष्ट किया जाता है कि इस आदेश में कही गई कोई भी बात मामले के गुण.दोष पर राय की अंतिम अभिव्यक्ति के समान नहीं होगी और यहां की गई टिप्पणियां किसी भी तरह से जांच को प्रभावित नहीं करेंगी।      

   संगठन ने दी प्रतिक्रिया

5 को रतलाम में होगा कृषि आदान विक्रेता संघ का व्यापारिक सम्मेलन

– कृषि आदान व्यापारियों के लिए यह अच्छी खबर है। हमारी राष्ट्रीय संगठन के खिलाफ प्रतिस्पर्धा आयोग में एक निजी कंपनी ने ऑनलाईन व्यापार के नुकसान का आरोप लगाते हुए मानहानि का दावा किया था, जिसे आयोग ने खारिज किया है, वहीं आयोग ने जो निर्णय लिया है, वह संगठन के लिए बड़ी जीत है। – श्रीकृष्णा दुबे, जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ इंदौर

भारतीय-प्रतिस्पर्धा-आयोग-ने-खारिज-किया-एग्रो-स्टॉर-कंपनी-का-केस-

– ऑल इंडिया एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन के ऑनलाईन व्यापार के खिलाफ चलाए गए अभियान के खिलाफ एग्रो स्टार द्वारा  भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में केस दायर कर संगठन पर कंपनी को नुकसान का दावा करते हुए कार्रवाई की मांग के साथ ही मुआवजे की मांग की थी। इसमें आयोग से संगठन के पक्ष में निर्णय आया है और उलट कंपनी को ही आयोग ने अवैध व्यापार करने वाली संस्था करार दिया है। आयोग ने केस खारिज किया है।- संजय कुमार रघुवंशी, राष्ट्रीय प्रवक्ता 

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– ऑल इंडिया एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन कृषि आदान व्यापारियों के हित में काम करने वाला संगठन है। हम किसी ऑनलाईन कंपनी के व्यापार के खिलाफ नही है, हमारा प्रयास है कि ग्राहक को नियम और मानक अनुसार कृषि आदान मिले, इसी को लेकर संगठन काम कर रहा है। आयोग द्वारा निर्णय से भी स्पष्ट हुआ है कि ऑनलाईन कंपनियां नियमों का पालन नही करती, हमारी मांग है कि ऑनलाईन व्यापार में कृषि आदन विक्रेता की तरह नियमों का पालन कर व्यापार करें। – मनमोहन कलंत्री. अध्यक्ष ऑल इंडिया एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन। 

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