अब मप्र में किसानों के खाते में नही आएगी कृषि यंत्रों की सब्सिडी,जारी होंगे ई- रूपी वाउचर कार्ड

हलधर किसान ।कृषि यंत्रों पर अनुदान की राशि अब किसानों के खातों में नहीं आएगी. सरकार ने नई व्यवस्था शुरू की है।मध्य प्रदेश सरकार कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को कृषि यंत्र खरीदने पर सब्सिडी देती है।सब्सिडी की राशि अब तक किसानों के खातों में जमा की जाती रही है, किंतु अब सरकार ने नई व्यवस्था शुरू कर दी है।नई व्यवस्था के तहत अब किसानों के खातों में सब्सिडी की रकम जमा नहीं की जाएगी, बल्कि कृषि यंत्र के लाभार्थी सूची में चयनित आने के पश्चात किसानों को ई रूपी वाउचर कार्ड जारी किए जाएंगे।ई रूपी वाउचर कार्ड क्या है? किस प्रकार इसका फायदा किसानों को मिलेगा, जानिए सबकुछ।

किसान के नाम पर ई-रुपी वाउचर जारी होगा
सरकार प्रतिवर्ष किसानों को उपकरण खरीदने पर सौ करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान देती है।केंद्र सरकार ने विभिन्न् योजनाओं में ई-रुपी योजना लागू करने के निर्देश सभी राज्यों को दिए हैं।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर वित्त विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखकर इसे लागू करने के लिए कहा था।

कृषि विभाग ने पहल करते हुए कृषि उपकरण पर दिए जाने वाले अनुदान को ई-रुपी वाउचर के माध्यम से देने का निर्णय लिया है।कृषि उपकरणों पर दिया जाने वाला अनुदान अब ई-रुपी वाउचर के माध्यम से ही मिलेगा। प्रकरण स्वीकृत होने के बाद किसान के नाम पर ई-रुपी वाउचर जारी होगा। इसे दिखाकर वह अधिकृत उपकरण विक्रेता से अपनी पसंद के उपकरण लेगा, यानी कि किसानों को एक कार्ड के माध्यम से सरकारी अनुदान का लाभ मिल जाएगा।

कैसे मिलेगा किसानों को अनुदान का लाभ
कृषि यंत्र सब्सिडी के लिए प्रकरण स्वीकृति के पश्चात किसान डीलर के माध्यम से कृषि यंत्र खरीदता है। मकान की स्वीकृति के पश्चात किसान के नाम से सरकार द्वारा ई-रुपी वाउचर जारी किया जाएगा, जिसे बताकर किसान अधिकृत डीलर से कृषि यंत्र ले सकता है। कृषि उपकरण/कृषि यंत्र लेने के पश्चात उपकरण के सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कृषि विभाग के द्वारा किसान को मोबाइल फोन पर ओटीपी भेजा जाएगा। जैसे ही वह सहमति देगा, उपकरण निर्माता कंपनी को भुगतान हो जाएगा। इस व्यवस्था से न तो डीलर को भुगतान के लिए जिला कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ेंगे और न ही किसान को कोई परेशानी होगी। इस पहल से पारदर्शिता बढ़ेगी कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार मौजूदा व्यवस्था में किसान आवेदन करता है। लाटरी के माध्यम से चयन होने के बाद क्रय स्वीकृति आदेश जारी होते हैं। किसान विभाग के पोर्टल पर दर्ज पंजीकृत डीलर से संपर्क करके उपकरण पसंद करता है। दर का निर्धारण वह स्वयं डीलर से मोल-भाव करके करता है। दरअसल, मिलीभगत के आरोप न लगें और पारदर्शिता रहे, इसके लिए सरकार ने यह नीति बनाई है कि वह अपने स्तर से उपकरण की कीमत तय नहीं करेगी।अधिकतम अनुदान की दर जरूर शासन स्तर से तय की जाती है। अनुदान की राशि का भुगतान किसान और डीलर को न करके सीधे निर्माता को किया जाता है।

सब्सिडी इन कृषि उपकरणों के लिए दी जाती है
थ्रेशर, सीड ड्रिल (बोवनी के उपयोग में आने वाली मशीन), कम्बाइन हार्वेस्टर, स्ट्रा रीपर (खेत में बचे डंठल को भूसा बनाने की मशीन), रोटावेटर, राइस ट्रांसप्लांटर, प्लाऊ (गहरी जुताई कर मिट्टी को पलटने वाला यंत्र), ट्रैक्टर-ट्राली, उड़ावनी मशीन, कल्टीवेटर (खेती जुताई यंत्र), स्प्रेयर सहित अन्य।

कृषि यंत्रों पर सब्सिडी की दरें
पोटटो प्लांट / डिगर के लिए 30000.00
गार्लिक / ओनिओन, प्लांटर / डिगर 30000.00
टेक्टर माउन्टेड एगेब्लास्ट स्प्रेयर के लिए 75000.00
पॉवर आपरेटर प्रूनिंग मशीन के लिए 20000.00
फागिंग मशीन के लिए 10000.00
मल्च लेईंग मशीन 30000.00
पॉवर टिलर के लिए 75000.00
पॉवर वीडर के लिए 50000.00
टेक्टर विथ रोटावेटर (अधिकतम 20 एच.पी.तक) 150000.00
ओनियन / गार्लिक मार्कर 500.00
पोस्ट होल्ड डिनर 50000.00
ट्री प्रूनर 45000.00
प्लांट हेज ट्रिमर 35000.00
मिस्ट बलोअर 30000.00
पॉवर स्प्रे पंप 25000.00

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