हलधर किसान बालाघाट :
आजीविका मिशन की दीदियां कर रही नेतृत्व
एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत जिले में पौधरोपण का कार्य तो जारी है ही। लेकिन इससे हटकर बिरसा के मछुरदा गांव की स्व सहायता समूह से जुड़ी दीदीयों ने अपने आप में एक नया तरीका निकाला है। यहाँ 6 स्व सहायता समूह की करीब 30 दीदियां पिछले 2 दिनों से सीड बॉल बना रही है। अब तक इन्होंने 1000 से अधिक ऐसे सीड बॉल बनाये है। अब ये सीड बॉल खेत की मेड़,बाड़ी, जंगल और मैदानी शासकीय भूमि पर छिड़कने की तैयारी की जा रही है। सीड बॉल बनाने का तरीका भी अपने आप में एक अलग ही है। जो वास्तव में अंकुरण होने की पूरी संभावना रखता है।
ऐसे बनता है सीड बाल :
प्रभारी जिला प्रबंधक कृषि आजिविका मिशन के दिनेश कुमार ने बताया कि ग्राम संगठन के माध्यम से समूह की दीदियां इस कार्य जुटी है। इन्हें खेती का पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान कर विभिन्न विधियॉ बतायी गई थी। सीड बनाने के लिए गोमूत्र, गोबर, चुना, रेत और मिक्स मिट्टी की बाल तैयार की जाती है। इसी बाल में मनचाहा या जो जंगल क्षेत्र में सीड उपयुक्त हो बीज (सीड) बाल के अंदर रख दिया जाता है। इसके बाद दो दिनों तक सूर्य की रोशनी में इस बॉल को रख दिया जाता है। इसके बाद जो भी उपयुक्त स्थल हो वहां हल्का सा गड्डा कर ऊपर से मिट्टी ढक दी जाती है। दीदियां बाल में जामुन, नीम, करन्ज, आम, अमरूद और आंवले के सीड रख रही है।
