बीज कानून पाठशाला:15 “बिज क्रय विक्रय सम्बन्धी सूचनाएं”

beej kanun pathshala

हलधर किसान इंदौर। बीज अधिनियम 1966 बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए है जबकि बीज नियन्त्रण आदेश 1983 बीजों की बिक्री को नियमित करने का कानून है। इस नियन्त्रण आदेश के तहत ही बीज विक्रय हेतु लाइसैंस लेना आवश्यक है। इस आदेश के द्वारा बीज व्यापारियों पर कुछ दायित्व डाले गये हैं और व्यापारी जन उसमें चूक कर जाते हैं। जो इस प्रकार है:-

1. मासिक रिपोर्ट :-

बीज नियन्त्रण आदेश की धारा-18 (2) में प्रावधान है कि फार्म-D में एक माह के बीज आवक जावक, विक्रय एवं शेष बीज का विवरण अगले माह की 5 तारीख तक बीज लाइसेंसिंग अथॉर्टी को दे परन्तु व्यापारी नियमित रूप से नहीं दे पाते और बीज निरीक्षक जब भी दुकान पर निरीक्षण करने आता है वह प्रथम आरोप मासिक क्रय-विक्रय रिपोर्ट न देने का लगाता है अतः निवेदन है कि मासिक रिपोर्ट लाइसेंसिंग अधिकारी को अवश्य भिजवाएं।

2. स्टॉक प्रदर्शन :-

बीज नियन्त्रण आदेश की धारा-8

(a) में प्रावधान है कि व्यापारी अपना स्टॉक का अपनी दुकान/फर्म पर दैनिक प्रदर्शन करेगा। यह प्रदर्शन व्यापारी बोर्ड लगा कर, टाईप करके भी लगा सकते हैं। यह काम दुकान खुलते ही करना चाहिए अन्यथा लाइसेंसिंग प्राधिकारी के कोप का भाजन बनना पड़ेगा।

3. मूल्य प्रदर्शन :-

बीज नियन्त्रण आदेश की धारा-8

(b) में उल्लेख है कि व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान पर दैनिक रूप से अपने बीजों के मूल्य का प्रदर्शन करना चाहिए। जिसके अभाव में लाइसेंसिंग अधिकारी कार्यवाही कर सकता है।

4. लाइसैंस में संशोधन :-

बीज विक्रय लाइसैंस किसी जिले, प्रान्त, राज्य के लिए नहीं होता है। न ही कोई फुटकर, थोक विक्रय लाइसैंस होता है, न ही कोई सैन्ट्रल लाइसैंस होता है। बीज व्यापारी की निशानदेही पर किसी स्थान / दुकान पर फर्म/कम्पनी को बीज विक्रय का लाइसैंस दिया जाता है जिसके आधार पर वह प्रत्येक शहर, तहसील, जनपद, राज्य में ही नहीं पूरे विश्व में बीज व्यापार कर सकता है।

बीज नियन्त्रण आदेश 1983 की धारा-17 में लाइसैंस में संशोधन करवाने का प्रावधान है जिसकी फीस में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, अभी भी मात्र 10/- रुपये फीस है। आपकी फर्म की दुकान किन्हीं कारणोंवश दूसरे स्थान में स्थानान्तरित हो गई है तो तुरन्त लाइसैंस में पता बदलवाने का प्रार्थना पत्र दें अन्यथा बीज लाइसेंसिंग अधिकारी के शिकार हो जाओगे। लाइसैंस व्यापारी को उसके द्वारा लाइसेंसिंग अधिकारी को दिए गये पते पर दिया जाता है और संशोधन न करवाने पर व्यापारी अपराधी है। इसी प्रकार कम्पनी के प्रोपराईटर, एम.डी. या जिम्मेदार व्यक्ति पार्टनर में किन्हीं कारणों से बदलाव आता है तो उसमें संशोधन करवा लें। सरकारी संस्थाएं जिस अधिकारी के नाम से लाइसैंस बना हुआ है उसका दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण होने पर भी नाम में संशोधन करवा लेना चाहिए अन्यथा उसके स्थानान्तरण के बाद सैम्पल अमानक होने या अन्य कोई अनियमितता होने पर अधिकारी न्यायिक दण्ड का अधिकारी होगा।

5. रिकॉर्ड बनाना:-

बीज नियन्त्रण आदेश-1983 की धारा-18

(i) के अनुसार बीज व्यापारियों को स्टॉक रजिस्टर्ड रखने और विधिवत रूप से उनमें प्रविष्टियाँ करने का दायित्व दिया है परन्तु व्यापारी दैनिक रूप से प्रविष्टियाँ करने में चूक करते हैं और लाइसेंसिंग अधिकारी के कोप का भाजन बनना पड़ता है।

खेती कहावत’

बैल चौकना खेत में और घर में चमकीली नार बैरी है ये जान के भली करे करतार।

:: लोकोक्ति::
अद्भुत है बीज का अंकुरण
स्वयं को होम कर, करता नया सृजन।

– सौजन्य से –
श्री संजय रघुवंशी, प्रदेश संगठन मंत्री, कृषि आदान विक्रेता संघ मप्र

श्री कृष्णा दुबे, अध्यक्ष, जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ इंदौर

dubey ji

लेखक–  आर.बी. सिंह, एरिया मैनेजर (सेवा निवृत) नेशनल सीड्स कारपोरेशन लि० (भारत सरकार का संस्थान) सम्प्रति ई-70, कला निकेतन, विथिका संख्या-11, जवाहर नगर, हिसार-125001 (हरियाणा), दूरभाष सम्पर्क 94667-46625, Email: rbsinghiffdc@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *