अंटार्कटिका से दोगुना हुआ ओजोन छिद्र का आकार, शोधकर्ताओं ने जताई चिंता
हलधर किसान (रिसर्च)। सूर्य की हानिकारण पराबैंगनी विकिरणो से बचाने वाली पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ओजोन परत के सुराग का आकार बढऩा चिंता का विषय बनता जा रहा है।
नए शोध ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। जलवायु परिवर्तन के कारण सुराग तेजी से बढ़ रहा है।
नेचर कम्युनिकेशंस जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक अंटार्कटिका के ऊपर मौजूद ओजोन छिद्र तेजी से बढ़ा है। यह पिछले 3 साल में पुराने आकार की तुलना में सबसे बड़ा हो गया है।
न्यूजीलैंड के ओटागो विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रही हन्ना केसेनिच ने बताया है कि ओजोन परत का अध्ययन करने के दौरान टीम को 19 साल पहले की तुलना में कम ओजोन मिला है।
इस शोध में शोधकर्ताओं ने 2004-2022 के बीच ओजोन परत में हुए परिवर्तन का विश्लेषण किया है। यह विश्लेषण मासिक और दैनिक दोनों आधार पर किया गया है। केसेनिच ने बताया कि इस साल ओजोन छिद्र आकार की तुलना में 3 साल पहले के जाकर को पार कर चुका है।
पिछले महीने जब शोध किया जा रहा था तब परत में सुराग का आकार 2.6 करोड़ वर्ग किलोमीटर से अधिक थाए जो अंटार्कटिका के क्षेत्रफल से लगभग 2 गुना है।
हन्ना केसेनिच ने कहा, शोध के दौरान पाए गए तथ्यों का मतलब है कि ओजोन लेयर में सुराख क्षेत्रफल में बड़ा है। साथ ही अधिकांश वसंत ऋतुओं के दौरान छिद्र अधिक बड़ा और गहरा भी है।
रिसर्च टीम ने 2004 से 2022 की अवधि में मासिक और दैनिक ओजोन परिवर्तन का विश्लेषण किया। अंटार्कटिक ओजोन छिद्र के भीतर अलग.अलग ऊंचाई और अक्षांशों पर अध्ययन किया गया।
रिसर्च कर रहीं केसेनिच ने कहा, शोध के दौरान हमने ओजोन की परत कमजोर होने और अंटार्कटिका के ऊपर धु्रवीय भंवर में आने वाली हवा में बदलाव के बीच संबंध का अध्ययन किया गया। इससे पता चलता है कि हाल के वर्षों में बड़े ओजोन छिद्र का कारण सिर्फ सीएफसी नहीं हो सकते।
ओजोन लेयर में छिद्र के कारण बेहद जटिल हैं। ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों का इस्तेमाल बंद करने के लिए 1987 का मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल अपनाया गया। इसके तहत ओजोन को नष्ट करने वाले मानव निर्मित रसायनों के उत्पादन और खपत को नियंत्रित करने का आह्वान किया गया है।
पर्यावरण के साथ खिलवाड़ और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे की अनदेखी को रिसर्च टीम चिंताजनक मानती है। शोध कर रहे लोग इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि जनता के बीच यह धारणा है कि ओजोन मुद्दा हल हो चुका है।

पिछले कुछ वर्षों में ओजोन परत के बारे में कुछ प्रमुख संचार का जिक्र करते हुए, केसेनिच ने कहा हमारा विश्लेषण 2022 के डेटा के साथ समाप्त हुआ। हालांकि, 2023 ओजोन छिद्र पहले ही तीन साल पहले के सुराख के आकार को पार कर चुका है। पिछले महीने के अंत में सुराख का आकार 26 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक था, जो अंटार्कटिका के क्षेत्रफल से लगभग दोगुना है।
क्यों जरूरी है ओजोन परत?
पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ओजोन परत लोगों को सूर्य के हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाता है। पराबैंगनी विकिरण के कारण लोगों को गंभीर त्वचा रोग हो सकता है।
माना जाता है कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन ओजोन परत को खत्म करने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। बता दें की कार्बन, क्लोरीन, हाइड्रोजन और फ्लोरिन युक्त ग्रीनहाउस गैसों को कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने ओजोन छिद्र के बढ़ते आकार को चिंताजनक बताया है।
