भारतीय खाद्य निगम ने ई-नीलामी के दो दिनों में 9.2 लाख मिट्रिक टन गेहूं की बिक्री की

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इस ई-नीलामी में 1150 बोलीदाताओं ने भाग लिया

हलधर किसान। देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए मंत्रियों की समिति द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने ई-नीलामी में 1 और 2 फरवरी 2023 को खुले बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के तहत केंद्रीय पूल भंडार से विभिन्न मार्गों के माध्यम से गेहूं की ई-नीलामी के लिए निर्धारित 25 लाख मिट्रिन टन गेहूं के भंडार में से 22.0 लाख मिट्रिन टन गेंहू की पेशकश की है।
ई-नीलामी के पहले सप्ताह में 1150 से अधिक बोलीदाताओं ने भाग लिया और पूरे देश में 9.2 लाख मिट्रिक टन गेहूं की बिक्री हुई। इसके अलावा ई-नीलामी के माध्यम से मार्च 2023 के दूसरे सप्ताह तक हर बुधवार को पूरे देश में गेहूं की बिक्री जारी रहेगी।
ई-नीलामी के पहले सप्ताह में 100 से 499 मीट्रिक टन के बीच गेहूं की अधिकतम मांग रही, जिसके बाद 500-1000 मीट्रिक टन की गेहूं की और उसके बाद 50-100 मीट्रिक टन गेंहू की मांग रही, जो यह दर्शाती है कि छोटे और मध्यम आटा मिलर्स और व्यापारियों ने नीलामी में सक्रिय रूप से भाग लिया। एक बार में 3000 मीट्रिक टन की अधिकतम मात्रा के लिए केवल 27 बोलियां प्राप्त हुईं।
नीलामी में एफसीआई द्वारा 2474/ रुपए प्रति क्विंटल की भारित औसत दर जारी की गई और फरवरी के पहले सप्ताह में आयोजित ई-नीलामी में एफसीआई ने 2290 करोड़ रुपए अर्जित किया।
3 लाख मिट्रिक टन गेहूं सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों/ केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ और नेफेड जैसे पीएसयू/सहकारिता/संघ को गेहूं का आटा बनाने के लिए 2350 रुपये प्रति क्विंटल की रियायती दर पर ई-नीलामी के बिना ही बिक्री के लिए आवंटित किया गया। उन्होंने 29.50 प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य पर जनता को आटे की पेशकश की। एनसीसीएफ को 7 राज्यों के लिए 50000 मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया गया है। देश में आटे के मूल्य कम करने के लिए इस योजना के तहत नैफेड और केंद्रीय भंडार को एक-एक लाख मिट्रिक टन गेहूं आवंटन किया गया है। केंद्रीय भंडार ने उक्त योजना के तहत आटा बेचने की योजना शुरू की है। नैफेड भी 8 राज्यों में यह योजना शुरू करने की तैयारी मैं है।
ई-नीलामी के कारण पिछले एक सप्ताह के दौरान गेहूं के बाजार भाव में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। ई-नीलामी में बेचे गए गेहूं का उठाव होने और बाजार में आटा उपलब्ध होने के बाद कीमतों में और गिरावट आना तय है।

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