ताजिकिस्तान की जेरवशान घाटी में एक लाख, 50 हजार साल पुराने शहर की खोज हुई है। हाल ही में की गई खुदाई में शोधकर्ताओं को ये 1,50,000 साल पुराना पुरातात्विक स्थल मिला, जो इस क्षेत्र में प्रारंभिक मानव बस्तियों और रहन-सहन के बारे में नई जानकारी देता है। यरूशलम के हिब्रू विश्वविद्यालय और ताजिकिस्तान के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के पुरातत्वविदों की टीम ने इस बहु-स्तरीय पुरातात्विक स्थल की खोज की है। सोई हवजक नाम की इस साइट से प्रारंभिक मनुष्यों के प्रवास और विकास के बारे में महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं।स्किटेक डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, हिब्रू विश्वविद्यालय में पुरातत्व संस्थान के प्रोफेसर योसी जैडनर और ताजिकिस्तान के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के डॉक्टर शारोफ कुर्बानोव की टीम ने पत्थर के औजारों, जानवरों की हड्डियों और प्राचीन वनस्पतियों की एक विशाल श्रृंखला को खोजा है। ये सभी खोज 20,000 से 1,50,000 साल पहले तक के कालखंडों की हैं।
क्या बताती है नई खोज
प्रोफेसर जैडनर ने बताया है कि जेरवशान घाटी मुख्य रूप से मध्य युग में सिल्क रोड मार्ग के रूप में जानी जाती थी। इससे बहुत पहले यानी 150,000 साल पहले तक ये मानव विस्तार का रास्ता था। यह क्षेत्र आधुनिक होमो सेपियन्स, निएंडरथल, डेनिसोवन्स जैसी मानव प्रजातियों के लिए प्रवास मार्ग के रूप में काम कर सकता है, जो इस क्षेत्र में सह-अस्तित्व में रहे होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे शोध का उद्देश्य यह पता लगाना है कि इन हिस्सों में रहने वाले मानव कौन थे और कैसे रहते थे।
पुरातत्व टीम ने सोई हवजक में तीन क्षेत्रों की खुदाई की, जिसमें मानव गतिविधि की परतों का पता चला। अच्छी तरह से संरक्षित ये अवशेष प्राचीन जलवायु और पर्यावरण के बारे में अहम जानकारी देते हैं। साथ ही मानव अवशेषों की खोज की क्षमता भी देते हैं जो यह पहचान सकते हैं कि इस क्षेत्र में कौन सी मानव प्रजाति निवास करती थी।
भविष्य के लिहाज से अहम होगी खुदाई
प्रोफेसर जैडनर का कहना है कि इस खोज के मानव विकास और प्रवास के अध्ययन के लिए व्यापक निहितार्थ हैं। ये खासतौर से यह समझने में मदद करेगा कि प्राचीन मानव समूहों ने एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत की होगी। रिसर्च टीम का मानना है कि मध्य एशिया के पहाड़ी गलियारे में सोई हवजक मानव आबादी के महत्वपूर्ण संक्रमण बिंदु के रूप में काम कर सकता है, जिससे विशाल क्षेत्रों में मनुष्य पहुंचा होगा।