खसरा नकल में कपास फसल अनिवार्यता पर किसानो ने किया हंगामा, आनंद नगर मंडी में दो घंटे बंद रही निलामी
खुले बाजार में कपास के गिरे भाव, सीसीआई खरीदी में नियमों का अड़ंगा
हलधर किसान। व्यापारिक खरीदी में कपास के दाम गिरने के बाद अब किसान भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा की जा रही खरीदी की ओर रुख कर रहे है। हालांकि सीसीआई को उपज बेचने के दौरान किसानों को सर्द मौसम में पसीने छूट रहे है।
खरगोन की आनंद नगर स्थित कपास मंडी में सीसीआई के खरीदी के नियमो को लेकर सोमवार को किसानों को खासा परेशान होना पड़ा। खसरा नकल में कपास फसल बुआई की अनिवार्यता को लेकर किसानो ने भी हंगामा किया, जिससे करीब दो घंटे खरीदी बाधित हुई। हालांकि इससे नियमों में कोई राहत नही मिल पाई,
जिससे मजबूरन किसानों को खसरा नकल निकालने के लिए ऑनलाईन सेंटरों का रुख करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर माह से सीसीआई की खरीदी शुरु है। देशभर में यह एकमात्र एजेंसी है जो कपास की सरकारी खरीदी के लिए अधिकृत है।
सोमवार को मंडी में 44 बैलगाडी, वाहन 960 वाहनों से करीब 16 हजार क्विंटल कपास की आवक हुई। न्यूनतम 4500 रुपए और मॉडल भाव 6650 रुपए रहे।
सांगवी से उपज बेचने आए भागीरथ खतवासे ने बताया कि मंडी में निलामी के दौरान व्यापारी 6400 से 6500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी कर रहे है, जबकि समर्थन मूल्य पर सीसीआई 6920 रुपए प्रति क्विंटल से खरीदी कर रही है,
इससे किसान सीसीआई को ही अपनी उपज बेचना चाहते है, लेकिन नियमों पर खरा नही उतर पाने के चलते कई किसानों को मजबुरन कम दाम पर अपनी उपज बेचना पड़ रही है।

भायराम यादव श्रीखंडी, संजय नारायण दवाना, कमल पाटीदार कसरावद आदि ने बताया कि सीसीआई पंजीयन के बाद खरीदी करती है,
जब पंजीयन केंद्र पहुंचे तो दस्तावेजो की जांच में गेहूं-चना फसल मिलने पर उन्हें खरीदी से बाहर कर दिया गया, जबकि नकल रबी सीजन की है और वह उपज खरीफ फसल की लेकर आए है,
ऐसे में उन्हें रिकार्ड दुरुस्त कराने या नई नकल निकलवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। जिनके पास साधन था वह करीब 2 किमी दूर ऑनलाईन सेंटरों पर नई नकल निकालने गए, जबकि कई किसान ऐसे थे,
जो सुदुर अंचलों से आए थे वे ऑनलाईन सेंटरों तक नही पहुंच पाए, जिससे उन्हे मजबुरन कम दाम में अच्छी क्वालिटी का कपास बेचना पड़ा।
व्यापारियों को लाभ पहुंचाने का लगाया आरोप
कपास लेकर आए भागीरथ ने बताया भारतीय कपास निगम नियमों में बदलाव कर शासकिय खरीदी को सीमित करने का प्रयास है, इससे कही न कही व्यापारियों को लाभ मिलेगा।
पहले ही इस बार कपास किसानों पर मौसम की मार पड़ी है और जिसका असर फसल पर भी हुआ है और किसान परेशान हैं और अब यह नया फरमान तो और भी परेशान करने वाला है।
सरकारी खरीद की मनमानी से त्रस्त किसानों ने औने.पौने दाम पर कपास व्यापारियों व जिंनिंग फैक्ट्रियों को बेच दिया।